ऑटो ड्राइवर की बेटी रोशनी कुमारी: 12वीं टॉपर बनने की जिज्ञासा भरी कहानी
रोशनी कुमारी, एक 12वीं कक्षा की कॉमर्स स्टूडेंट, ने अपनी मेहनत और लगन से बिहार के हाजीपुर में जमनी लाल महाविद्यालय से 12वीं बोर्ड में पहला रैंक हासिल किया। उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उनके परिवार और स्कूल के लिए भी गर्व का पल है। आइए, रोशनी की इस प्रेरणादायक यात्रा को जानते हैं।
रोशनी का पारिवारिक बैकग्राउंड
रोशनी के पिता सुधीर कुमार एक ऑटो ड्राइवर हैं, जो सुबह 7 बजे से काम शुरू करते हैं। उनकी माँ आरती देवी एक हाउसवाइफ हैं, जो घर और बच्चों की देखभाल करती हैं। रोशनी की एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी है। रोशनी ने अपनी स्कूलिंग संस्कार भारती पब्लिक स्कूल से शुरू की, लेकिन फाइनेंशियल प्रॉब्लम के कारण उन्हें यह स्कूल छोड़ना पड़ा। इसके बाद उन्होंने राजकीय कृत उच्च विद्यालय, चांदपुरा से 10वीं की पढ़ाई पूरी की।
10वीं में निराशा, फिर हिम्मत
रोशनी ने 10वीं में 418 अंक हासिल किए, लेकिन यह उनके लिए निराशाजनक था। उन्होंने बहुत मेहनत की थी, लेकिन रिजल्ट उम्मीद से कम रहा। उस दिन रोशनी और उनकी माँ बहुत रोए। माँ ने उन्हें मोटिवेट करते हुए कहा, "अगली बार पक्का हो जाएगा, चिंता मत करो।" इस प्रेरणा ने रोशनी को हिम्मत दी।
12वीं की तैयारी: मेहनत और लगन
रोशनी ने जमनी लाल महाविद्यालय, हाजीपुर में 11वीं में दाखिला लिया। उन्होंने स्कूल के साथ-साथ भारती कंप्यूटर कॉमर्स क्लासेस, जंदा रोड, बिंदुपुर में राहुल सर से कोचिंग भी ली। रोशनी रोज़ स्कूल जातीं, कोचिंग करतीं, और घर आकर सेल्फ स्टडी करतीं। उनकी माँ रातभर उनके साथ जागकर पढ़ाई में मदद करती थीं। रोशनी बताती हैं, "मेरी माँ के जागने से पापा भी जागते थे। वे सोचते थे कि मेरी बेटी क्या करेगी।"
कॉमर्स चुनने की वजह
रोशनी ने कॉमर्स इसलिए चुना, क्योंकि उनकी टीचर पूजा मिस ने सलाह दी। पूजा मिस ने कहा, "साइंस से पढ़ोगी तो शायद मुश्किल होगी। कॉमर्स लो, ऐसा सब्जेक्ट चुनो जो कोई नहीं लेता। ऐसा काम करो जो कोई नहीं करता।" पूजा मिस ने रोशनी की इंग्लिश को मज़बूत किया, जो उनके लिए बहुत मददगार रहा। 10वीं में रोशनी ने सुनील सर से कोचिंग ली, जिन्होंने उनकी नींव मज़बूत की।
12वीं का रिजल्ट: टॉप रैंक
जब 12वीं का रिजल्ट आया, तो रोशनी ने पहला रैंक हासिल किया। वे बताती हैं, "वेरिफिकेशन के दौरान मैंने इतने सारे बच्चों को देखा, तो डर लग रहा था कि टॉप रैंक आएगा या नहीं। लेकिन मैंने कर दिखाया।" रोशनी ने सोचा था कि वे टॉप 10 में आएँगी, लेकिन पहले रैंक ने उनकी मेहनत को सार्थक कर दिया।
भविष्य की योजनाएँ
रोशनी पहले सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) बनना चाहती थीं, लेकिन फैमिली कंडीशन को देखते हुए उन्होंने सीएस (कंपनी सेक्रेटरी) का रास्ता चुना। वे कहती हैं, "सीएस में कम खर्चा है। मैं कमा लूँगी, पापा की मदद करूँगी। मेरे भाई-बहन को भी पढ़ाना है।" रोशनी की माँ और टीचर्स ने हमेशा उनका साथ दिया। उनके टीचर्स ने कहा, "जितना पैसा चाहिए, हम देंगे। तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोकेगा।"
रोशनी का संदेश
रोशनी अपनी छोटी बहन (जो 10वीं की तैयारी कर रही है) और भाई को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं। वे कहती हैं, "जैसे मैंने मेहनत की, वैसे तुम भी करो। माँ-पापा का साथ है, तो कुछ भी मुमकिन है।
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